कश्मीर में ‘तानाशाही और मनमानी’ ने कानून का रूप ले लिया है: चिदंबरम

Chidambaram

जम्मू कश्मीर प्रशासन द्वारा पूर्व मुख्यमंत्री के खिलाफ सख्त जन सुरक्षा अधिनियम (पीएसए) निरस्त किये जाने और अब्दुल्ला को रिहा किये जाने के बाद चिदंबरम ने सरकार पर यह हमला बोला।

नयी दिल्ली। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक़ अब्दुल्ला को सात महीने तक हिरासत में रखे जाने को लेकर शुक्रवार को मोदी सरकार पर प्रहार किया। साथ ही, आरोप लगाया कि इस केंद्र शासित प्रदेश में तानाशाही और मनमानी’ ने कानून का रूप ले लिया है । जम्मू कश्मीर प्रशासन द्वारा पूर्व मुख्यमंत्री के खिलाफ सख्त जन सुरक्षा अधिनियम (पीएसए) निरस्त किये जाने और अब्दुल्ला को रिहा किये जाने के बाद चिदंबरम ने सरकार पर यह हमला बोला।  चिदंबरम ने कहा, ‘‘डॉ फारूक़ अब्दुल्ला, आजाद हवा में स्वागत है। बगैर आरोपों के सात महीने तक उन्हें हिरासत में रखने का क्या औचित्य था? यदि यह उचित था (ऐसा कुछ नहीं था), तो उन्हें आज रिहा करने का क्या कारण है?’’ 

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पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा, ‘‘कश्मीर में ‘तानाशाही और मनमानी’ ने कानून का रूप ले लिया है: और यह वायरस भारत में कई राज्यों में फैल रहा है।’’ पिछले साल पांच अगस्त को केंद्र द्वारा जम्मू कश्मीर राज्य का विशेष दर्जा समाप्त कर राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों में विभाजित किए जाने के बाद अब्दुल्ला को हिरासत में लिया गया था।  वहीं, नेशनल कॉन्फ्रेंस के संरक्षक फारूक अब्दुल्ला ने हिरासत से रिहा होने के बाद शुक्रवार को उन सांसदों का आभार व्यक्त किया, जिन्होंने उनकी रिहाई के लिए लड़ाई लड़ी और कहा कि सारे नेताओं के रिहा होने के बाद ही वह भविष्य के बारे में कोई निर्णय ले पाएंगे। 

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अब्दुल्ला ने कहा,‘‘ मैं आजाद हूं....उम्मीद है कि बाकी नेता भी जल्द रिहा हो जाएंगे। सभी सांसदों का आभार, जिन्होंने मेरी आज़ादी के लिए लड़ाई लड़ी। भविष्य के बारे में कोई निर्णय तभी ले सकूंगा जब सारे नेता रिहा हो जाएंगे।’’ गौरतलब है कि अब्दुल्ला को पीएसए के तहत हिरासत में लिया गया था। इस कानून के तहत प्रशासन किसी व्यक्ति को सुनवाई के बगैर तीन महीने तक हिरासत में रख सकता है। इसे दो वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है।वह पहले पूर्व मुख्यमंत्री हैं जिनके खिलाफ पीएसए लगाया गया था।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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